बकासुर 1:
एक दिन, श्री कृष्ण अपने ग्वाल बालों के साथ मधुबन में गायों को चराने गए। बकासुर ने श्री कृष्ण को अपनी चोंच से पकड़ लिया और उन्हें दूर ले जाने लगा। श्री कृष्ण ने बकासुर से लड़ाई की, और अंततः उसे उसकी चोंच से पकड़कर मार डाला।
बकासुर के वध से द्वैतवन के लोगों को बहुत राहत मिली। उन्होंने श्री कृष्ण को धन्यवाद दिया, और उन्हें अपने नायक के रूप में मानने लगे।
बकासुर के वध की कहानी महाभारत में भी वर्णित है। इस कहानी का उद्देश्य यह बताना है कि भगवान कृष्ण एक शक्तिशाली और दयालु भगवान हैं जो अपने भक्तों की रक्षा करते हैं।
बकासुर के वध के कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं पर नीचे प्रकाश डाला गया है:
• बकासुर एक शक्तिशाली और क्रूर राक्षस था।
• उसने द्वैतवन के लोगों को परेशान करना शुरू कर दिया।
• श्री कृष्ण ने बकासुर से लड़ाई की और उसे मार डाला।
• बकासुर के वध से द्वैतवन के लोगों को राहत मिली।
इस कहानी का उद्देश्य यह बताना है कि भगवान कृष्ण एक शक्तिशाली और दयालु भगवान हैं जो अपने भक्तों की रक्षा करते हैं।
बकासुर 2:
बकासुर एक नरभक्षी राक्षस था जो महाभारत काल में एकचक्रनगरी के पास रहता था। वह एक शक्तिशाली प्राणी था और उसने उस क्षेत्र के सभी लोगों को आतंकित कर रखा था। वह हर दिन एक व्यक्ति को खाता था और अगर कोई व्यक्ति उसे भोजन नहीं देता था, तो वह उसे मार देता था।
भीम भी अज्ञातवास के दौरान उसी क्षेत्र में थे। एक दिन, उन्होंने बकासुर के बारे में सुना और उसे मारने का फैसला किया। भीम ने बकासुर से लड़ाई की और उसे मार डाला। बकासुर के मरने से क्षेत्र के लोगों को बड़ी राहत मिली।
बकासुर का वध भीम की शक्ति और साहस का एक उदाहरण है। यह भी एक उदाहरण है कि कैसे एक छोटा-सा व्यक्ति भी बुराई के खिलाफ लड़ सकता है और जीत सकता है।
बकासुर के बारे में कुछ और जानकारी निम्नलिखित है:
• वह एक विशालकाय प्राणी था। उसका शरीर इतना बड़ा था कि वह एक बार में कई बैलों को खा सकता था।
• वह एक शक्तिशाली प्राणी भी था। वह एक हाथ से एक पहाड़ को उठा सकता था।
• वह एक क्रूर राक्षस था। वह लोगों को बिना किसी कारण के मार देता था।
• भीम ने उसे एक हाथ से मार डाला।
बकासुर के वध के बाद, भीम को एक महान योद्धा के रूप में जाना जाने लगा।