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12 June, 2020

सत्यनारायण भगवान


मध्य में जो विराजमान हैं, उन्हें ही नारायण कहा जाता है जो कि भगवान श्री विष्णु के सत्य गुण के रूप है। जिन्हे सत्यनारायण भी कहा जाता है। वैसे सभी भगवान श्री विष्णु के ही रूप हैं। आइए जानते हैं:

ऊँ श्री गणेशाय नम:  ऊँ परमात्मने नम: ✍🏿

हर छोटे बडे़ शरीर में जीवन का कारण जो जीवात्माँ हैं, वो नारायण स्वरुप ही हैं।
पर लगभग लगभग हर व्यक्ती ये बात भूला हुआ है।
जो उसके दु:ख का कारण है।

इस अनन्त ब्रह्माँण्ड़ को आप एक ऐसा अनन्त शरीर जानो जिसकी कोई आकृती नहीं बनाई जा सकती इसलिए वो परब्रह्मँ निराकार कहा जाता है।

वही हैं शिवजी, शिवजी तमोगुँण को धारण करके स्वयम् को अहँकार जगत के रुप में अन्तरिक्ष स्वरुप हो प्रकट हैं, जिस अन्तरिक्ष में ब्रह्मँदेव हर ब्रह्माँण्ड़ को रचते हैं।

ब्रह्माँ जी उसी परमात्माँ स्वरुप विष्णूजी के बुद्धी हैं, जिससे संसार के हर जीवात्माँ को बुद्धी मिलती है।

शिवजी भी उसी विष्णुजी के स्वरुप हैं जिन्हें हम संहारकर्ता कहते हैं।
उनके पुर्ण स्वरुप के दर्शन करें:


भगवान विष्णु जी जीवात्माँओं के परब्रह्मँ स्वरुप हैं, इसलिए उन्हें क्षीर सागर में लेटे हुए योगनिद्रायुक्त दिखाया जाता है, वो जीवात्माँ के प्रतीक परमात्माँ हैं, इसलिए अपनी ही बुद्धी व अहँकार के रचना को देखते रहते हैं, और जब जहाँ धर्म की हानि होती है, वहाँ प्रकट होते हैं।


पर श्री हरि: तक पहुँचने के लिए व्यक्ती को बाहर नहीं अन्दर देखना चाहिए क्युँकि नारायण ते परमधाम का मार्ग जीव के हृदयकमल में स्थित जीव के अन्दर आत्मा रुप से है। उसे क्षीर सागर कहते हैं, इतना जान लेने पर फिर और कुछ जानने को शेष नहीं रहता।



एक छोटी सी कहानी है: click here

11 June, 2020

कृष्ण की चेतावनी

  


वर्षों तक वन में घूम-घूम,
बाधा-विघ्नों को चूम-चूम,
सह धूप-घाम, पानी-पत्थर,
पांडव आये कुछ और निखर।
सौभाग्य न सब दिन सोता है,
देखें, आगे क्या होता है।
मैत्री की राह बताने को,
सबको सुमार्ग पर लाने को,
दुर्योधन को समझाने को,
भीषण विध्वंस बचाने को,
भगवान् हस्तिनापुर आये,
पांडव का संदेशा लाये।
‘दो न्याय अगर तो आधा दो,
पर, इसमें भी यदि बाधा हो,
तो दे दो केवल पाँच ग्राम,
रक्खो अपनी धरती तमाम।
हम वहीं खुशी से खायेंगे,
परिजन पर असि न उठायेंगे।
दुर्योधन वह भी दे ना सका,
आशिष समाज की ले न सका,
उलटे, हरि को बाँधने चला,
जो था असाध्य, साधने चला।
जब नाश मनुज पर छाता है,
पहले विवेक मर जाता है।
हरि ने भीषण हुंकार किया,
अपना स्वरूप-विस्तार किया,
डगमग-डगमग दिग्गज डोले,
भगवान् कुपित होकर बोले-
‘जंजीर बढ़ा कर साध मुझे,
हाँ, हाँ दुर्योधन! बाँध मुझे।
यह देख, गगन मुझमें लय है,
यह देख, पवन मुझमें लय है,
मुझमें विलीन झंकार सकल,
मुझमें लय है संसार सकल।
अमरत्व फूलता है मुझमें,
संहार झूलता है मुझमें।
‘उदयाचल मेरा दीप्त भाल,
भूमंडल वक्षस्थल विशाल,
भुज परिधि-बन्ध को घेरे हैं,
मैनाक-मेरु पग मेरे हैं।
दिपते जो ग्रह नक्षत्र निकर,
सब हैं मेरे मुख के अन्दर।
‘दृग हों तो दृश्य अकाण्ड देख,
मुझमें सारा ब्रह्माण्ड देख,
चर-अचर जीव, जग, क्षर-अक्षर,
नश्वर मनुष्य सुरजाति अमर।
शत कोटि सूर्य, शत कोटि चन्द्र,
शत कोटि सरित, सर, सिन्धु मन्द्र।
‘शत कोटि विष्णु, ब्रह्मा, महेश,
शत कोटि विष्णु जलपति, धनेश,
शत कोटि रुद्र, शत कोटि काल,
शत कोटि दण्डधर लोकपाल।
जञ्जीर बढ़ाकर साध इन्हें,
हाँ-हाँ दुर्योधन! बाँध इन्हें।
‘भूलोक, अतल, पाताल देख,
गत और अनागत काल देख,
यह देख जगत का आदि-सृजन,
यह देख, महाभारत का रण,
मृतकों से पटी हुई भू है,
पहचान, इसमें कहाँ तू है।
‘अम्बर में कुन्तल-जाल देख,
पद के नीचे पाताल देख,
मुट्ठी में तीनों काल देख,
मेरा स्वरूप विकराल देख।
सब जन्म मुझी से पाते हैं,
फिर लौट मुझी में आते हैं।
‘जिह्वा से कढ़ती ज्वाल सघन,
साँसों में पाता जन्म पवन,
पड़ जाती मेरी दृष्टि जिधर,
हँसने लगती है सृष्टि उधर!
मैं जभी मूँदता हूँ लोचन,
छा जाता चारों ओर मरण।
‘बाँधने मुझे तो आया है,
जंजीर बड़ी क्या लाया है?
यदि मुझे बाँधना चाहे मन,
पहले तो बाँध अनन्त गगन।
सूने को साध न सकता है,
वह मुझे बाँध कब सकता है?
‘हित-वचन नहीं तूने माना,
मैत्री का मूल्य न पहचाना,
तो ले, मैं भी अब जाता हूँ,
अन्तिम संकल्प सुनाता हूँ।
याचना नहीं, अब रण होगा,
जीवन-जय या कि मरण होगा।
‘टकरायेंगे नक्षत्र-निकर,
बरसेगी भू पर वह्नि प्रखर,
फण शेषनाग का डोलेगा,
विकराल काल मुँह खोलेगा।
दुर्योधन! रण ऐसा होगा।
फिर कभी नहीं जैसा होगा।
‘भाई पर भाई टूटेंगे,
विष-बाण बूँद-से छूटेंगे,
वायस-श्रृगाल सुख लूटेंगे,
सौभाग्य मनुज के फूटेंगे।
आखिर तू भूशायी होगा,
हिंसा का पर, दायी होगा।’
थी सभा सन्न, सब लोग डरे,
चुप थे या थे बेहोश पड़े।
केवल दो नर ना अघाते थे,
धृतराष्ट्र-विदुर सुख पाते थे।
कर जोड़ खड़े प्रमुदित,
निर्भय, दोनों पुकारते थे ‘जय-जय’!

Written by रामधारी सिंह दिनकर (Ramdhari Singh Dinkar)

07 June, 2020

A Short Note on Engineering

Engineering :- A short note 
- Written on 6th June 2013
- Modified on 6th June 2020

"हम हैं तो जान है, हम नहीं तो ये दुनिया वीरान है।"

1. 🌞 सुबह-सुबह हम अपने घर के पंखे, बल्ब, टीवी, कम्प्यूटर या लेपटॉप चलाते हैं या फिर बंद करते हैं।



ये सभी उपकरण हमारे electrical engineering से जुड़े हैं।

2. अपने दैनिक जीवन में कहीं-कहीं हमने लोगों को सुर्य किरणों और गोबर गैस(bio-mass) से बिजली उत्पन्न करते देखा है। इन्हें renewable source of energy कहा जाता है।

Definition of Renewable Energy: Renewable Energy is energy that is collected from renewable resources which are naturally available or can be restored. 
Example: Wind, Solar, Geothermal, hydropower and biomass.

Solar Electricity Generation

Biomass Electricity Generation

ये सारे हमारे electrical engineering से जुड़े हैं।

3. Stepping out? कहीं बाहर जाना है? तो हम मोटरसाइकिल, कार एवं अन्य वाहनों का उपयोग करते हैं। इन सभी वाहनों को चलाने के लिए ईंधन की जरूरत होती है, जिन्हें हम non-renewable source of energy कहते हैं।

ये सारे वाहन हमारे electrical engineering से जुड़े हैं।
अगर बात की जाए बिजली या बैटरी से चलने वाले वाहनों की, तो वहां भी electrical engineering ही है। जैसे electric engine train, electric bike or car, etc.


Definition of Non Renewable Energy: 
Sources that cannot be restored in our lifetime.
Example: Fossil fuels - coal, petroleum and natural gas.

4. हम घर बैठे अपने टेलिविजन, रेडियो या मोबाइल पर अपना मनचाहा कार्यक्रम देखते या सुनते हैं। ये भी हमारे electrical and electronics engineering से ही जुड़े हैं।


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बिना बिजली के संसार की हम कल्पना नहीं कर सकते हैं। यह कह सकते हैं कि बिना बिजली के हम अधूरे हैं, हमारी जिंदगी अधूरी और अंधेरी है।
Life is not possible without electricity.

इसलिए यह कहना उचित है:

"हम हैं तो जान है, हम नहीं तो ये दुनिया वीरान है।"

यह हमारा अपना देश है, जिसे भारत/हिन्दुस्तान कहा जाता है। जहां हर देशवासी एक परिवार के जैसे रहते हैं। जैसे जब कभी भी कहीं कोई संकट में होते हैं, तो उसकी सहायता करने के लिए देश का हर एक व्यक्ति उसके साथ खड़ा होता है। बलात्कार, देशद्रोह, या ऐसे कई उदाहरणों में ऐसा देखा गया है। यह हमारा कर्तव्य भी है और देशहित के लिए जरूरी भी।

ऐसे में हम कह सकते हैं कि

"हर एक फ्रेंड जरूरी होता है।" चाहे वो E&E, E&C, CS, IS, Civil or Mech engineering से जुड़े हों.. #Airtel

हमारे देश के विकास के लिए हमें सब की जरूरत होती है। यही हमारे देश की एकता है। 

Hum/हम का मतलब है "We Engineers". Showing "Unity".
All for the development of our nation. 🇮🇳


------ Thank You ------

06 June, 2020

मधुमक्खी


यदि मधुमक्खी पृथ्वी से गायब हो गयी तो इंसानों के पास जीवित रहने के लिए बस चार साल बचेंगे।

मधुमक्खी


मधुमक्खी, जिसके बारे में इंसान भलीभांति परिचित है। यह गांव, शहरों, कस्बो इत्यादि जगहों पर पाई जाती है। यूं तो मधुमक्खी एक शांत स्वभाव का जीव है लेकिन जैसे इसे खतरा महसूस होता है तो यह हमला करने से भी नहीं चूकती और इनका हमला इतना खतरनाक होता है जिससे कई बार इंसानों की जान भी चली जाती है।


1. मधुमक्खी ही एकमात्र ऐसा जीव है जिसके द्वारा शहद तैयार किया जाता है। मधुमक्खी नहीं होती तो यह शहद भी नहीं होता।




2. पूरे विश्व में मधुमक्खियों की 20,000 से ज्यादा प्रजातियाँ पाई जाती है।

3. विश्व में मुख्य रूप से मधुमक्खियों की 4-5 प्रजातियां ही ऐसी है जो शहद का निर्माण करती है।

4. मधुमक्खी धरती पर अकेली ऐसी किट है जिसके द्वारा बनाया गया भोजन मनुष्य द्वारा खाया जाता है।

5. मधुमक्खियां 1 किलो शहद बनाने के लिए लगभग 40 लाख फूलों का रस चुसती हैं।

6.  एक स्वस्थ मधुमक्खी का जीवनकाल लगभग 45 दिनों का होता है।

7. मधुमक्खियों के दो पेट होते हैं जिनमें से एक का उपयोग यह खाना खाने के लिए व दूसरे का उपयोग फूलों का रस इकट्ठा करने में करती हैं।

8. मधुमक्खियों के झुंड में एक रानी होती है जिनके आदेश का पालन अन्य सभी मधुमक्खियां करती हैं।

9. मधुमक्खियों का छत्ता HEXAGONAL आकार का होता है।


10. कुत्तों के जैसे मधुमक्खियों में भी सूंघने की तीव्र छमता होती है। इनमें 170 तरह के सूंघने वाले receptors होते हैं, जबकि मच्छरों में 79 तरह के होते हैं। Bees sense of smell is 50 times better than that of dogs.

11. धरती पर मौजूद सभी जीव-जंतुओं में से मधुमक्खियों की भाषा सबसे कठिन है। 1973 में 'Karl von Frisch' को इनकी भाषा को समझने के लिए नोबेल पुरस्कार मिला था।

12. मधुमक्खियों की उड़ने की तीव्रता 15 किलोमीटर प्रति घंटे की होती है।

13. केवल मादा मधुमक्खी ही शहद बना सकती है और ढंक मार सकती हैं। नर मधुमक्खी का जीवन सिर्फ sex के लिए ही होता है और सेक्स के बाद उनकी मृत्यु हो जाती है।

14. शहद हजारों साल तक खराब नहीं होता। यह एकमात्र ऐसा फूड है जिसके अंदर जिंदगी जीने के लिए सभी आवश्यक चीजें पाई जाती है। जैसे: enzymes(oxygen), vitamins, minerals, water, pinocembrin, etc...