वेदों तथा ब्राह्मणों में क्षत्रिय शब्द राजवर्ग के अर्थ में प्रयुक्त हुआ है। प्राचीन काल में शासक वर्ग,ब्राह्मण तथा अन्य समुदायों की मदद से शासन चलाता था। इसलेख में संस्कृत शब्द 'क्षत्रिय', वैदिक काल के समाज के सन्दर्भ में वर्णित है जब पूरा समाज ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य व शूद्र नामक चार वर्गों में विभक्त था।
राजपूतों की वंशावली :
“दस रवि से दस चन्द्र से, बारह ऋषिज प्रमाण,
चार हुतासन सों भये , कुल छत्तिस वंश प्रमाण
भौमवंश से धाकरे टांक नाग उनमान
चौहानी चौबीस बंटि कुल बासठ वंश प्रमाण.”
अर्थ:- दस सूर्य वंशीय क्षत्रिय, दस चन्द्र वंशीय, बारह ऋषि वंशी एवं चार अग्नि वंशीय कुल छत्तिस क्षत्रिय वंशों का प्रमाण है, बाद में भौमवंश. , नागवंश क्षत्रियों को सामने करने के बाद जब चौहान वंश चौबीस अलग- अलग वंशों में जाने लगा तब क्षत्रियों के बासठ अंशों का पमाण मिलता है।
सूर्य वंश की दस शाखायें:-
१. कछवाह
२. राठौड
३. बडगूजर
४. सिकरवार
५. सिसोदिया
६.गहलोत
७.गौर
८.गहलबार
९.रेकबार
१०.जुनने
चन्द्र वंश की दस शाखायें:-
१.जादौन
२.भाटी
३.तोमर
४.चन्देल
५.छोंकर
६.होंड
७.पुण्डीर
८.कटैरिया
९.स्वांगवंश
१०.वैस
अग्निवंश की चार शाखायें:-
१.चौहान
२.सोलंकी
३.परिहार
४.परमार.
ऋषिवंश की बारह शाखायें:-
१.सेंगर
२.दीक्षित
३.दायमा
४.गौतम
५.अनवार (राजा जनक के वंशज)
६.विसेन
७.करछुल
८.हय
९.अबकू तबकू
१०.कठोक्स
११.द्लेला
१२.बुन्देला
चौहान वंश की चौबीस शाखायें:-
१.हाडा
२.खींची
३.सोनीगारा
४.पाविया
५.पुरबिया
६.संचौरा
७.मेलवाल
८.भदौरिया
९.निर्वाण
१०.मलानी
११.धुरा
१२.मडरेवा
१३.सनीखेची
१४.वारेछा
१५.पसेरिया
१६.बालेछा
१७.रूसिया
१८.चांदा
१९.निकूम
२०.भावर
२१.छछेरिया
२२.उजवानिया
२३.देवडा
२४.बनकर.
क्षत्रिय जातियो की सूची
(क्रमांक/ नाम/ गोत्र/वंश / स्थान और जिला)
१.सूर्यवंशी /भारद्वाज/सूर्य /बुलन्दशहर / आगरा , मेरठ, अलीगढ
२.गहलोत / बैजवापेण/सूर्य /मथुरा, कानपुर, और पूर्वी जिले
३.सिसोदिया /बैजवापेड/ सूर्य /महाराणा उदयपुर स्टेट
४.कछवाहा/ मानव/सूर्य /महाराजा जयपुर और ग्वालियर राज्य
५.राठोड/ कश्यप/ सूर्य / जोधपुर, बीकानेर और पूर्व और मालवा
६.सोमवंशी/अत्रय/ चन्द/प्रतापगढ और जिला हरदोई
७.यदुवंशी/ अत्रय/ चन्दराजकरौली, राजपूताने में
८.भाटी / अत्रय/ जादौनमहारlजा जैसलमेर. , राजपूताना
९.जाडेचा/ अत्रय/ यदुवंशीमहाराजा कच्छ, भुज
१०.जादवा/अत्रय/ जादौनशाखा अवा. कोटला , ऊमरगढ, आगरा
११.तोमर/ व्याघ्र/चन्दपाटन के राव, तंवरघार, जिला ग्वालियर
१२.कटियार/ व्याघ्र /तोंवरधरमपुर का राज और हरदोई
१३.पालीवार/व्याघ्र/ तोंवरगोरखपुर/
१४.परिहार/ कौशल्य/अग्नि /इतिहास में जानना चाहिये
१५.तखी/ कौशल्य/ परिहारपंजाब, कांगडा , जालंधर, जम्मू में
१६.पंवार/ वशिष्ठ /अग्नि /मालवा, मेवाड, धौलपुर, पूर्व मे बलिया
१७.सोलंकी/ भारद्वाज/ अग्नि /राजपूताना , मालवा सोरों, जिला एटा
१८.चौहान/ वत्स /अग्नि / राजपूताना पूर्व और सर्वत्र
१९.हाडा/ वत्स / चौहान / कोटा , बूंदी और हाडौती देश
२०.खींची / वत्स/ चौहानखींचीवाडा , मालवा , ग्वालियर
२१.भदौरिया/ वत्स / चौहान/नौगंवां , पारना, आगरा, इटावा ,गालियर
२२.देवडा/वत्स/चौहान /राजपूताना, सिरोही राज
२३.शम्भरी /वत्स / चौहाननीमराणा , रानी का रायपुर, पंजाब
२४.बच्छगोत्री/ वत्स/ चौहानप्रतापगढ, सुल्तानपुर
२५.राजकुमार/वत्स / चौहान/दियरा , कुडवार, फ़तेहपुर जिला
२६.पवैया /वत्स / चौहान /ग्वालियर
२७.गौर, गौड/ भारद्वाज / सूर्य/शिवगढ, रायबरेली, कानपुर, लखनऊ
२८.वैस/ भारद्वाज/चन्द्र /उन्नाव, रायबरेली , मैनपुरी पूर्व में
२९.गेहरवार/ कश्यप / सूर्य / माडा , हरदोई, उन्नाव, बांदा पूर्व
३०.सेंगर/ गौतम/ ब्रह्मक्षत्रिय/जगम्बनपुर, भरेह, इटावा , जालौन,
३१.कनपुरिया/भारद्वाज / ब्रह्मक्षत्रिय/पूर्व में राजा अवध के जिलों में हैं
३२.बिसैन/ वत्स / ब्रह्मक्षत्रिय / गोरखपुर ,गोंडा , प्रतापगढ में हैं
३३.निकुम्भ/ वशिष्ठ/सूर्य/गोरखपुर, आजमगढ, हरदोई, जौनपुर
३४.सिरसेत/भारद्वाज /सूर्य/गाजीपुर, बस्ती, गोरखपुर
३५.कटहरिया/वशिष्ठ्या भारद्वाज / सूर्य/ बरेली, बंदायूं, मुरादाबाद, शहाजहांपुर
३६.वाच्छिल/अत्रय/ वच्छिलचन्द्र/ मथुरा, बुलन्दशहर, शाहजहांपुर
३७.बढगूजर/वशिष्ठ/सूर्य/अनूपशहर, एटा , अलीगढ, मैनपुरी , मुरादाबाद , हिसार, गुडगांव, जयपुर
३८.झाला/मरीच /कश्यप/चन्द्र/धागधरा , मेवाड, झालावाड, कोटा
३९.गौतम/गौतम/ ब्रह्मक्षत्रिय/ राजा अर्गल , फ़तेहपुर
४०.रैकवार/ भारद्वाज/ सूर्य/ बहरायच, सीतापुर, बाराबंकी
४१.करचुल /हैहय/कृष्णात्रेय/चन्द्र/बलिया ,फ़ैजाबाद, अवध
४२.चन्देल/चान्द्रायन/चन्द्रवंशी/गिद्धौर, कानपुर, फ़र्रुखाबाद, बुन्देलखंड, पंजाब, गुजरात
४३.जनवार/कौशल्य/सोलंकी शाखा/बलरामपुर, अवध के जिलों में
४४.बहरेलिया / भारद्वाज/ वैस की गोद/ सिसोदिया/रायबरेली, बाराबंकी
४५.दीत्तत/कश्यप/सूर्यवंश की शाखा/ उन्नाव, बस्ती, प्रतापगढ ,जौनपुर , रायबरेली, बांदा
४६.सिलार/ शौनिक/चन्द्र/ सूरत , राजपूतानी
४७.सिकरवार/ भारद्वाज/ बढगूजर/ ग्वालियर, आगरा और उत्तरप्रदेश में
४८.सुरवार/ गर्ग/ सूर्य /कठियावाड में
४९.सुर्वैया/वशिष्ठ/यदुवंश/काठियावाड
५०.मोरी/ ब्रह्मगौतम/सूर्य/मथुरा, आगरा, धौलपुर
५१.टांक (तत्तक)/शौनिक / नागवंश,मैनपुरी और पंजाब
५२.गुप्त/गार्ग्य/चन्द्र/अब इस वंश का पता नही है
५३.कौशिक/कौशिक/चन्द्र/ बलिया, आजमगढ, गोरखपुर
५४.भृगुवंशी/भार्गव/चन्द्र/वनारस, बलिया , आजमगढ, गोरखपुर
५५.गर्गवंशी/गर्ग ब्रह्
राजपूत का मतलब – क्षत्रिय
राजपूत इतिहास – राजपूत का मतलब
राजपूतों के लिये यह कहा जाता है कि वह केवल राजकुल में ही पैदा हुआ होगा, इसलिये ही राजपूत नाम चलाl
लेकिन राजा के कुल मे तो कितने ही लोग और जातियां पैदा हुई है सभी को राजपूत कहा जाता!
यह राजपूत शब्द राजकुल मे पैदा होने से नही बल्कि राजा जैसा बाना रखने और राजा जैसा धर्म “सर्व जन हिताय,सर्व जन सुखाय” का रखने से राजपूत शब्द की उत्पत्ति हुयी।
गौतम बुद्ध का जन्म एक क्षत्रिय शाक्य कुल में हुआ था। |
Lord Parsurama the Kshatriya-slayer |
Kshatriya - a warrior |
Rama the Kshatriya |