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28 August, 2014

यह शर्मनाक वारदात!

एक नवविवाहित महिला पांच दरिंदों के बीच घिरी हुई कसमसा रही थी। पति के सामने उसकी इज्जत तार-तार की जा रही थी क्योंकि पति उन हैवानों के सामने बेबस था। महिला चीखती रही, चिल्लाती रही लेकिन कोई उसकी मदद को आगे नहीं आया। जबकि उसके पड़ोस में दो दर्जन लोग सबकुछ देख और सुन रहे थे।

आप सोच रहे होंगे यह किसी फिल्म का दृष्य होगा लेकिन नहीं, यह शर्मनाक वारदात मायानगरी मुंबई की है। इस वारदात ने समाज के सामने कई यक्ष प्रश्न खड़े कर दिए है मसलन आखिर समाज कब तक संवेदनहीन बना रहेगा?

जब उस महिला की इज्जत तार-तार की जा रही थी तो लोगों का जमीर क्यों नहीं जगा। वह दो दर्जन परिवार के लोग चाहते तो उस नवविवाहित महिला की इज्जत बच सकती थी लेकिन उन्होंने अपने इंसानियत को मार डाला।

बात करते है उस शर्मनाक घटना की जो भिवंडी इलाके में हुई। अग्रेजी अखबार मिड-डे के अनुसार, पांच की संख्या में कुछ बदमाश एक नवविवाहित दंपत्ति में घर में घुसे और महिला से छेड़छाड़ करने लगे।

इस बीच दो लोगों ने लड़के को पिता को एक दूसरे कमरे में बंद कर दिया और तीन लोगों ने उसके पति को बांध कर युवती के साथ बलात्कार किया। पीड़ित महिला जोर-जोर से चीख रही थी लेकिन उसकी आवाज सुनकर भी कोई सहायता के लिए नहीं निकला। सब अपने घरों में दुबके रहे।

युवती के साथ हैवानियत करने के बाद पांचों शैतान घर से बाहर निकले और दरवाजा बाहर से ही बंद कर दिया। बाद में किसी तरह पति बाहर निकला और पुलिस को इसकी सूचना दी। बताया जाता है कि अभी मई माह में ही उनकी शादी हुई थी।

नवविवाहित दंपति यूपी के रहने वाले है। उसके पिता ने बताया कि दोनों गणेश उत्सव देखने के लिए मुंबई आएं थे और साथ ही मेरा बेटा यहां नौकरी तलाश रहा था।

अगले दिन सुबह जब पुलिस पीड़ित महिला को अस्पताल में देखने पहुंची तो वह भी उसके साथ हुई हैवानियत को देखकर दंग रह गई। पुलिस के अनुसार, पीड़ित महिला के चेहरे पर कई जगह चाकू से काटे जाने के ‌निशान मिले जबकि हैवानों ने उसके प्राइवेट पार्ट पर भी कई जख्म दिए है।

पुलिस के एक अधिकारी ने नवविवाहित दंपति के पड़ोसियों को काफी लताड़ लगाया कि इतने लोगों के रहने के बावजूद कोई एक हाथ भी मदद के लिए नहीं बढ़ना बेहद शर्मनाक है।

पुलिस मामला दर्ज कर हैवानों की गिरफ्तारी के लिए कोशिश कर रही है।

Date: मंगलवार, 19 अगस्त 2014

Link:
http://www.amarujala.com/feature/crime-bureau/neighbours-ignored-woman-s-cries-for-help-hindi-news-cj/?page=0

सुसाइड नोट


‘इस शहर का माहौल पूरी तरह बिगड़ गया है। यहां बहुत आवारा लड़के लड़कियों पर लाइन मारने के लिए घूमते रहते हैं। इसी तरह हमारे पीछे हर 2-3 दिन में कोई न कोई लड़का आता था, लेकिन हम तो उन लड़कों को जानते भी नहीं थे। 

फिर भी वो तो हमारे पीछे घूमते रहते थे और घर तक आ जाते थे। इस वजह से दुनिया वाले अफवाहें उड़ाते हैं। शहर की पुलिस ऐसे आवारा लड़कों के प्रति बहुत सख्त हो जाए वरना हमारी तरह पता नहीं कितनी लड़की और परेशान होकर आत्महत्या करेंगी।’

ये निकिता और मधु के अंतिम शब्द हैं, जो उन्होंने अपने 5-6 पेज के सुसाइड नोट में लिखे हैं। आंखों में बड़ी उम्मीदों और दिल में कामयाबी के सपने पाले इन दोनों छात्राओं ने शहर के माहौल और पुलिस व्यवस्था पर सवालिया निशान लगा दिया है।

जीने की चाह, आसमां छूने की दीवानगी, अपनों का लगाव और उनके लिए चिंता सुसाइड नोट में भी मरी नहीं, लेकिन माहौल और पुलिस व्यवस्था ने दो होनहार छात्राओं को हरा दिया।

निकिता पढ़ाई में बहुत होशियार थी और 10वीं में उसने 98 प्रतिशत अंक हासिल किए थे। वहीं मधु भी पढ़ाई के दम पर ही अपने सपनों का पूरा करने में जुटी थी।

लेकिन उनके सपनों को दो तीन माह पहले लाढ़ोत के एक युवक ने ग्रहण लगाना शुरू कर दिया। अपने सपनों को यूं बिखरते देख उन्होंने न जाने कितनी बार दोबारा नई शुरुआत करने की कोशिश की होंगी, न जाने नई सुबह उम्मीद के साथ शुरू की होगी। 

हर बार जिंदगी व्यवस्था की नाकामी से हारती चली गई और अंत में मौत के आगोश में सो गई।

निकिता ने लिखा है कि मैंने भी हमेशा अपने पेरेंट्स का नाम ऊंचा करने के लिए कड़ी मेहनत की है। हमेशा चाहा है कि कभी भी मैं अपने पेरेंट्स का सिर न झुकने दूं। 

मेरा हमेशा से सपना था कि मैं अपने दम पर अमेरिका जाऊं और मम्मी-पापा को भी वहां की सैर कराऊं। मैं ये चाहती थी कि मेरे पेरेंट्स जहां भी जाएं, उन्हें वहां मेरे नाम व मेरी अच्छाइयों की वजह से जाना जाए।

मैंने उसी की तैयारी में सारा ध्यान पढ़ाई पर केंद्रित कर रखा था ताकि अमेरिका जाने का सपना पूरा कर सकूं। लेकिन पिछले 2-3 महीने से इतना तनाव बढ़ गया कि पढ़ाई में भी कम ध्यान लग पा रहा था।

टेंशन की वजह से बीमार भी रहने लगी थी। टेंशन ये थी कि रोज कोई न कोई अनजान लड़का कुछ-कुछ कहता। घर तक पीछे आता। इससे दुनिया वाले मेरे और मधु के बारे में पता नहीं क्या-क्या गलत सोचेंगे। 

एकेडमी वाले क्या सोचेंगे। इस टेंशन से ही हमारा दिमाग भरा रहता था। इस टेंशन की वजह से शायद हम दिन रात एक करने के बाद भी अच्छा स्कोर तो कर लेते पर टॉप नहीं कर पाते।

कीर्ति के लिए बर्थडे पर मैंने टी शर्ट देने की सोची थी और विपांशु के लिए घड़ी। लेकिन अब मैं नहीं हूं। इसलिए दराज में रखे पर्स से रुपये निकाल कर कीर्ति के लिए टीशर्ट ले देना और विपांशु को मेरी ही घड़ी ठीक कराकर दे देना।

ऐसे में उसके एग्जाम व इंटरव्यू के दौरान मेरी बेस्ट विशेज उसके साथ रहेंगी। वहीं कीर्ति उस टीशर्ट को स्पेशल दिनों में पहने। यह उसके लिए लकी साबित होगी। 

एंड डोंट वरी, मेरी दुआएं हमेशा आपके साथ रहेंगी। मैं ना होकर भी आप सबके साथ हूं। आप लोग मुझे बस दिल से याद करना, मैं सपनों में आ जाऊंगी। आप लोगों के साथ कभी कुछ बुरा नहीं होगा। 

निकिता ने अपने अंतिम पत्र में अपनी मां से गुजारिश की है कि ‘मां, आप और संजय पहले की तरह बात करना शुरू कर दें। ये मेरी पहले भी इच्छा थी कि आप दोनों मेरे लिए बात करना शुरू कर दो।

लेकिन अब मैं नहीं हूं तो मेरी इच्छा भी है और प्रार्थना भी कि आप दोनों अभी से बात करना शुरू कर दें। मुझे उम्मीद है कि आप मुझे निराश नहीं करोगी। भगवान आप जैसे पेरेंट्स, भाई, बहन, कजन, दोस्त सबको दें।

उसने अपनी मां से कहा है कि उसके भाई-बहन कीर्ति और विपांशु को हमेशा दोस्तों की तरह रखना, ताकि वे अपनी कोई भी बात शेयर करने में हिचकिचाहट न करें।

क्योंकि मैं नहीं चाहती कि वो भी मेरी तरह दिमाग में टेंशन पालकर सुसाइड करने की सोचें। मम्मी आज मेरा सोमवार का 14वां व्रत है, जो मैं पूरा नहीं कर पाई।

इसलिए आप मेरे नाम से 14वां, 15वां, 16वां और 17वां सोमवार का व्रत कर उद्यापन भी कर दें। मेरी अर्थी को कंधा मेरे राजा, विपांशु, संजय और शीलू भैया दें। अभिषेक, संजय, विपांशु, राजा, शीलू और जीतू ये सभी मेरे अच्छे भाई के साथ-साथ मेरे टीचर भी रहे हैं।


Date: Thursday, August 28, 2014
Link:
http://www.amarujala.com/feature/crime-bureau/suside-note-of-nikita-and-madhu-hindi-news-tm/?page=0

26 August, 2014

Kilobots robot

Kilobots robot swarm coordinates to form shapes


The Kilobots are told by the researchers via an infrared transmitter to do a certain job. The robots then do it collectively without further input from a human being.

They look vaguely like miniature hockey pucks skittering along on three pin-like metal legs, but a swarm of small robots called Kilobots at a laboratory at Harvard University is making a little bit of history for automatons everywhere.
Researchers who created a battalion of 1,024 of these robots said on Thursday the mini-machines are able to communicate with one another and organize themselves into two-dimensional shapes like letters of the alphabet.
Much smaller groups of robots have been able to carry out similar tasks, but never a group this size.
The Kilobots are told by the researchers via an infrared transmitter to do a certain job. The robots then do it collectively without further input from a human being.
In a study published in the journal Science, they formed themselves on a large tabletop into the shapes of the letter "K," a star, a solid square and a wrench.
It may be a step forward for collective artificial intelligence, although the researchers acknowledge the Kilobots are not exactly thinking deep thoughts.

Rubenstein said the research anticipates a day when people may send many robots acting as a single entity to perform a task — perhaps to a destination like Mars — instead of humans or a single robot.
A "collective" may better handle an unknown environment — for example, forming into a snake shape to navigate sand dunes or like a ball to roll down a hill. He said a "collective" also is "fault tolerant" — if a single robot among 1,000 breaks down, plenty are left to do the job.
The Kilobot name is a play on the word kilobit, meaning 1,024 bits of digital information. But to some it might sound menacing — as in "killer robot" — as if it belongs in a movie like Terminator 3: Rise of the Machines.
"I tell people that these robots are not very dangerous. The only way that they could hurt you is if you try to eat one. They can't even go over a piece of paper. So they're kind of stuck where they are," Rubenstein said.





25 August, 2014

Breakthrough Science Society
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Objectives of Breakthrough Science Society
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1.To cultivate scientific and logical faculty of mind;

2.To foster consciousness against unscientific beliefs, superstitions, fanaticism, communalism, casteism, etc.;

3.To disseminate and popularize different discoveries and advancements of science;

4.To cultivate the study of history and philosophy of science;

5.To inculcate ethical values and social responsibility in all fields of scientific endeavour;

6.To devise and introduce correct method of teaching and learning of science;

7.To conduct campaign for the introduction of a secular, scientific and democratic education policy;

8.To move for the introduction of pro-people government policies in regard to research, development, and application of science and technology for the benefit of the people;

9.To build up movement for the socialization of natural resources and for the correct use of science and technology to ensure sustainable development and protection of environment;   and

10.To fight against the misuse of science for the destruction of humanity.

Click here:
http://www.breakthrough-india.org