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17 August, 2020

कलयुग अवश्य है।

कलयुग अवश्य है, किन्तु

सत्य की रक्षा करने हेतु किया गया कोई भी बुरा कर्म कभी पाप नहीं कहलाता है।


हमारे वेदों- उपनिषदों में भी कहा गया है:


धर्म एव हतो हन्ति धर्मो रक्षति रक्षितः । 

तस्माद्धर्मो न हन्तव्यो मा नो धर्मो हतोऽवधीत् ।। 

अर्थात: ‘‘जो पुरूष धर्म का नाश करता है, उसी का नाश धर्म कर देता है, और जो धर्म की रक्षा करता है, उसकी धर्म भी रक्षा करता है । इसलिए मारा हुआ धर्म कभी हमको न मार डाले, इस भय से धर्म का हनन अर्थात् त्याग कभी नहीं करना चाहिए ।’’


अहिंसा परमो धर्मः धर्म हिंसा तथैव च:।

र्अथात: अहिंसा सबसे बड़ा धर्म है और धर्म की रक्षा हेतु हिंसा उससे भी श्रेष्ठ है।




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