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13 October, 2014

Ardhanarishvara अर्धनारीश्वर




Ardhanarishvara 
(Sanskritअर्धनारीश्वरArdhanārīśvara), is a composite androgynous form of theHindu god Shiva and his consort Parvati (also known as DeviShakti and Uma in this icon). Ardhanarishvara is depicted as half male and half female, split down the middle. The right half is usually the male Shiva, illustrating his traditional attributes.
The earliest Ardhanarishvara images are dated to the Kushan period, starting from the first centuryCE. Its iconography evolved and was perfected in the Gupta era. The Puranas and various iconographic treatises write about the mythology and iconography of Ardhanarishvara. While Ardhanarishvara remains a popular iconographic form found in most Shiva temples throughout India, very few temples are dedicated to this deity.
Ardhanarishvara represents the synthesis of masculine and feminine energies of the universe (Purusha and Prakriti) and illustrates how Shakti, the female principle of God, is inseparable from (or the same as, according to some interpretations) Shiva, the male principle of God. The union of these principles is exalted as the root and womb of all creation. Another view is that Ardhanarishvara is a symbol of Shiva's all-pervasive nature.

The name Ardhanarishvara means "the Lord who is half woman." Ardhanarishvara is also known by other names like Ardhanaranari ("the half man-woman"), Ardhanarisha ("the Lord who is half woman"), Ardhanarinateshvara ("the Lord of Dance who is half-woman"), Parangada, Naranari ("man-woman"), Ammiappan (a Tamil name meaning "Mother-Father"), and Ardhayuvatishvara (in Assam, "the Lord whose half is a young woman or girl"). The Gupta-era writer Pushpadanta in his Mahimnastava refers to this form as dehardhaghatana ("Thou and She art each the half of one body"). Utpala, commenting on the Brihat Samhita, calls this form Ardha-gaurishvara ("the Lord whose half is the fair one"; the fair one – Gauri – is an attribute of Parvati). The Vishnudharmottara Purana simply calls this form Gaurishvara ("The Lord/husband of Gauri).

अर्धनारीश्वर क्यों बने शिव?


शिवलिंग से ज्यादा महत्वपूर्ण प्रतिमा पृथ्वी पर कभी नहीं खोजी गई। उसमें आपकी आत्मा का पूरा आकार छिपा है। और आपकी आत्मा की ऊर्जा एक वर्तुल में घूम सकती है, यह भी छिपा है। और जिस दिन आपकी ऊर्जा आपके ही भीतर घूमती है और आप में ही लीन हो जाती है, उस दिन शक्ति भी नहीं खोती और आनंद भी उपलब्ध होता है। और फिर जितनी ज्यादा शक्ति संगृहीत होती जाती है, उतना ही आनंद बढ़ता जाता है।

हमने शंकर की प्रतिमा को, शिव की प्रतिमा को अर्धनारीश्वर बनाया है। शंकर की आधी प्रतिमा पुरुष की और आधी स्त्री की- यह अनूठी घटना है। जो लोग भी जीवन के परम रहस्य में जाना चाहते हैं, उन्हें शिव के व्यक्तित्व को ठीक से समझना ही पड़ेगा। और देवताओं को हमने देवता कहा है, शिव को महादेव कहा है। उनसे ऊंचाई पर हमने किसी को रखा नहीं। उसके कुछ कारण हैं। उनकी कल्पना में हमने सारा जीवन का सार और कुंजियां छिपा दी हैं।

अर्धनारीश्वर का अर्थ यह हुआ कि जिस दिन परमसंभोग घटना शुरू होता है, आपका ही आधा व्यक्तित्व आपकी पत्नी और आपका ही आधा व्यक्तित्व आपका पति हो जाता है। आपकी ही आधी ऊर्जा स्त्रैण और आधी पुरुष हो जाती है। और इन दोनों के भीतर जो रस और जो लीनता पैदा होती है, फिर शक्ति का कहीं कोई विसर्जन नहीं होता।
अगर आप बायोलॉजिस्ट से पूछें आज, वे कहते हैं- हर व्यक्ति दोनों है, बाई-सेक्सुअल है। वह आधा पुरुष है, आधा स्त्री है। होना भी चाहिए, क्योंकि आप पैदा एक स्त्री और एक पुरुष के मिलन से हुए हैं। तो आधे-आधे आप होना ही चाहिए। अगर आप सिर्फ मां से पैदा हुए होते, तो स्त्री होते। सिर्फ पिता से पैदा हुए होते, तो पुरुष होते। लेकिन आप में पचास प्रतिशत आपके पिता और पचास प्रतिशत आपकी मां मौजूद है। आप न तो पुरुष हो सकते हैं, न स्त्री हो सकते हैं- आप अर्धनारीश्वर हैं।

बायोलॉजी ने तो अब खोजा है, लेकिन हमने अर्धनारीश्वर की प्रतिमा में आज से पचास हजार साल पहले इस धारणा को स्थापित कर दिया। यह हमने खोजी योगी के अनुभव के आधार पर। क्योंकि जब योगी अपने भीतर लीन होता है, तब वह पाता है कि मैं दोनों हूं। और मुझमें दोनों मिल रहे हैं। मेरा पुरुष मेरी प्रकृति में लीन हो रहा है; मेरी प्रकृति मेरे पुरुष से मिल रही है। और उनका आलिंगन अबाध चल रहा है; एक वर्तुल पूरा हो गया है। मनोवैज्ञानिक भी कहते हैं कि आप आधे पुरुष हैं और आधे स्त्री। आपका चेतन पुरुष है, आपका अचेतन स्त्री है। और अगर आपका चेतन स्त्री का है, तो आपका अचेतन पुरुष है। उन दोनों में एक मिलन चल रहा है।


















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