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08 October, 2014

नवरात्र का भंडारा बनाते हैं मुस्लिम और रोजा अफ्तारी कराते हैं हिंदू

धार्मिक भंडारे में मदद करते मुस्लिम धर्मावलंबी



राजधानी में सांप्रदायिक सौहार्द्र की लोग मिसाल देते हैं। ऐसा हो भी क्यों न, हिंदू हो या मुस्लिम हर तीज-त्योहार पर वे आपस में कुछ ऐसे आयोजन करते हैं, जो दूसरे लोगों के लिए नजीर बन जाते हैं।
 
भोपाल. आज जहां समाज में धर्म के नाम पर लोगों को बांटा जाता है, ऐसे में राजधानी से सटे आनंदनगर कोकता में गांव के कुछ लोगों ने सांप्रदायिक सद्भाव की अनूठी मिसाल पेश की है। इस इलाके में दो मुस्लिम युवक अपने पिता शरीफ अहमद की रवायत को आगे बढ़ाते हुए नवरात्रि में होने वाले भंडारे में हिंदू भाइयों का पूरा-पूरा सहयोग करते हैं। मोहल्ले के सभी हिंदू भाई भी उनकी इस मदद को तहे-दिल से स्वीकार करते हैं। मोहल्ले के लोग भी अपने इन मुस्लम भाइयों की मदद में पीछे नहीं रहते है। वे उनके लिए माह-ए-रमाजन में रोजा अफ्तारी का आयोजन करते हैं। उनके साथ बैठकर शहर, देश और प्रदेश में अमन-ओ-अमान की दुआ मांगते हैं। ईद पर मुबारकबाद देने सपरिवार उनके घर पहुंचते हैं।  
 
निभा रहे हैं परंपरा
 
आनंदनगर निवासी शरीफ अहमद ने 15 वर्ष पूर्व इस नेक कार्य की शुरुआत की थी। उनके इंतकाल के बाद यह सिलसिला उनके बेटों शाहिद और शहरयार अहमद ने जारी रखा है। उनका कहना है कि इस्लाम में मजहब का सम्मान करने को कहा गया है और जरूरतमंद की मदद करना फर्ज बताया गया है। शाहिद और शहरयार ने बताया कि वे हिंदू भाइयों के नवरात्री पर्व में पूरी शिद्दत के साथ मदद करते हैं। 
 
इन दोनों भाइयों के इस नेक काम से प्रेरित होकर मुस्लिम समाज के अन्य लोग भी उनका कंधे से कंधा मिलाकर सहयोग करते हैं। इस बस्ती के हिंदू और मुस्लिम भाई हर साल मजहबी भेद-भाव से ऊपर उठकर इस परंपरा को कायम रखने का संकल्प भी लेते हैं।
 
आपसी भाईचारे से ही देश में अमन-शांति कायम रहेगी
 
इस गांव के लोगों का मानना है कि इस तरह का सांप्रदायिक सौहार्द यदि सभी जगह हो जाए तो हमारे देश में अमन और शांति फैल जाए। सभी को अपनी सोच इस तरह बनाना चाहिए।
 
देश महाशक्ति बन सकता है

हमें इस बात की खुशी है कि हमारे आनंदनगर कोकता में हिंदू-मुस्लिम एकता की अनूठी मिसाल है। शाहिद और शहरयार जैसे भाइयों ने मिलकर अपने पिता की परंपरा को आगे बढ़ाया है, वह काबिले तारीफ है। आनंदनगर के सभी रहवासी सारे त्योहार मिल-जुलकर मनाते हैं। हम सभी ईद, रोजा-इफ्तार में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। यदि ऐसा माहौल पूरे देश में हो जाए तो भारत एक बड़ी महाशक्ति के रूप में उभरकर दुनिया के सामने आएगा। 
 

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